मुझे उस जंगल मैं कुछ पता नही था। अँधेरी रात में बाबाजी के साथ मैं साधना करने निकल पड़ा। वह साधना की तय्यारी पहले से ही कर के आए थे। उन्होंने अपनी झोली में से ५ मुंड निकले, और ५ जगह वेदी बनाई। फ़िर उन्होंने मुझे नर मुंड वाली वेदी पर बिठाया। उसके बाद उन्होंने कुछ मंत्रो का उच्चारण करवाया। और भैरव पूजन और भैरवी पूजन करवाया। तत्त्पस्चात मुझे उस बेदी से उठाया और नदी के घाट पर ले गए। जब मैं वह गया तो वह देखा की पहले से ही एक शव रखा हुआ था। मैं काफी भयभीत था तो बाबाजी ने कहा की भय की कोई बात नही है मैं हूँ ना। तब मेरा भय कुछ कम हुआ तो उन्होंने मुझे इस शव को अपने हाथों से स्नान कराने की आज्ञा दी। तब मैंने शव को नदी क पानी से स्नान कराया। स्नान कराने के बाद मैंने उनके कहे अनुसार शव का शरीर एक कपडे से पोछा,और शव पर सुगन्धित तेल लगाया। तत्त्पश्चात शव के उदार पर सिंदूर से एक यन्त्र बनाया। और उसके बाद उन्होंने मुझे उस शव के उदार पर बैठने को कहा। उसके बाद उन्होंने कुछ गोपनीय मंत्रो का उच्चारण करवाया।
शुरू के मंत्रो से कुछ खास प्रभाव नही पड़ा परन्तु आधी साधना बीतने के बाद जब उन्होंने एक भैरव मन्त्र का उच्चारण करवाया तब मैं भयभीत हुआ। क्योंकि यह मन्त्र कहते ही मैंने देखा की शव के शरीर मैं अनेको प्रकार के परिवर्तन होने लगे। उसका मुख और आँख हिलने लगे। तब एकायक भय के कारन मेरा मन्त्र रुक गया।
बाबाजी ने फ़िर आवाज़ लगायी "डर मत मैं हूँ तुझे कुछ नही होगा "
किसी तरह मैं मंत्र उच्चारण करता रहा और फ़िर बाबाजी मेरे समीप आ गए। और उस समय कही से वह एक बकरा ले आए। फ़िर मैंने उस बकरे की पूजा करी और फ़िर एक और मंत्र पढ़ाइस मंत्र के बाद मेरे शरीर से सांप, बिच्छु जैसे जंतु निकलने लगे। मैं फ़िर भयभीत हुआ तब बाबा ने फ़िर कहा "घबडा मत तेरी क्रिया सही जा रही है।" उसके बाद उन्होंने फ़िर से एक नया मंत्र बताया वह मंत्र कहते ही मुझे ऐसा प्रतीत हुआ की कई छाया रूपी नर नारी मुझे पकड़ने आ रहे है। उस वक्त मुझसे बर्दाश्त नही हुआ और मैं चिल्लाया बाबा यह क्या हो रहा है?
बाबाजी ने कहा "अब क्या डर रहा है सब हो चुका,चल यह सब भैरव और भैरवी हैं ,इन्हे अब भोग लगा।"
उन्होंने एक कत्तार दिया और मुझसे उस बकरे की बलि चढाने को कहा। उन्होंने एक मंत्र बोला और मैंने बकरे की बलि चदायी.मैंने देखा की बलि चढ़ते ही वह छाया रूपी भैरव और भैरावियाँ उस भोग पर टूट पड़ीं।यह एक कभी न भुलाने वाला पल था। मैंने देखा की कुछ ही पल में सारा भोग ख़त्म हो चुका था।और पीछे से कुछ आवाजिएँ आ रहीं थी जिनको की मैं समझ नही पा रहा था।
फ़िर बाबा ने मुझे एक मदिरा की बोतल दी और कहा की उस बलि क स्थान पर यह बोतल भी रख दो। कुछ ही पल में बोतल की मदिरा भी ख़तम हो गई।और सारी छाया,आवाजिएँ भी ख़त्म हो गयीं।
छाया ने जाते समय कुछ कहा था जो भय की वजह से मुझे समझ नही आया। तब बाबाजी ने मुझे यह ज्ञात कराया की मुझे वाक् सिद्धि और पर काया प्रवेश सिद्धि प्राप्त हो चुकी है।इन सिद्धियों की क्रिया भी उन्होंने मुझे तब समझाई और इनके उपयोग करने की विधि तथा समय का भी ज्ञान दिया।
शव भी अब शांत हो चुका था। तब बाबाजी ने मुझसे उस शव का तांत्रिक श्राद्ध क्रिया करवाया।तत्त्पश्चात उस शव को नदी मैं विसर्जित करवाया। थोडी देर बाद सूर्य उदय भी हो गया। और हम वापस हथौडा आ गए। उन्होंने मुझे बीरगंज की बस मैं बिठा दिया और स्वयं वही रुक गए।
इस साधना से ही मेरे जीवन में एक नया मोड़ आया.और मेरी तंत्र साधना के प्रति आस्था बढ़ गई।
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mai bhi sadhana sikhna chahta hu kaya karoo bataye mera mail ID samne likh raha hu asha karta hu javab ayega coolpam2009@gmail.com
ReplyDeleteis marg par ek shache guru ki talash hai. appki kripa hogi. mera naam mohit gupta hai or mobile no +919236509222 or id shyamdream2000@gmail.com
ReplyDeleteis marg par ek shache guru ki talash hai. appki kripa hogi. mera naam mohit gupta hai or mobile no +919236509222 or id shyamdream2000@gmail.com
ReplyDeleteapko sadar pranam ji min prakash hun our sadnaki bato me muje bachpan se ruchi hin min ye sab karna chata hun . roz min kuch mantro ka jam karta hun but muje pata nahi chalta ki wo sidha huyen hin ya nahi . kaise pata chalega batiyen . our min guru diksha le chuka hun mere guru dev moun dhari hin agar unse sadna sikhhu to kaise pls batiyen muje . prakashdhakate@yahoo.com & mo.09963900647,09039147413
ReplyDeletekay sadnayen sirf guru ke madhyam se hi hoti hin agar hamre guruji ko sadnake bare me pata ho our wo kabhi ye sadnaye karte na ho to hum kaise sadnayen kars akte hin
ReplyDeleteprakashdhakate@yahoo.com