Saturday 19 September, 2009

विश्व भर के श्रधालुओं के लिए सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मन्दिर में सामूहिक रूप से ६०१ कलश की स्थापना संपन्न

सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मन्दिर रक्सौल में सामूहिक रूप से ६०१ कलश की स्थापना संपन्न हुई। जो की एक विश्व रिकॉर्ड है। एक ही प्रान्गंड में ६०१ भक्तो के ओरसे दसहरा की पूजा में दस महाविद्या देवियों की आराधना हेतु ६०१ कलश दिनांक १८ सितम्बर २००९ को स्थापित हुए। इस प्रकार मन्दिर ने स्वयं अपने ही ५५१ कलश स्थापना के पुराने रिकॉर्ड को इस बार तोड़ दिया। विश्व में यह पहला ऐसा मन्दिर है जहा एकसाथ इतने कलशो की स्थापना होती है और भक्तजन एक साथ माँ काली की दसहरा में आराधना करते हैं।


चाइना, जर्मनी, अमेरिका, इंग्लैंड, श्रीलंका, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, मौरिसिअस जैसे देशों से भी श्रधालुओं ने कलश स्थापना करवाए। ओर भारत देश के भी सभी कोनो से भक्तो ने कलश स्थापना करवाया। बिहार, बंगाल, महारास्त्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब , तमिल नाडू, कर्नाटक आदि राज्यों से भक्तो ने दस महाविद्या साधना करने के लिए कलश स्थापित करवाए।
इन सभी ६०१ भक्तो के लिए मन्दिर और ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं ने मात्र २०१ रुपए में दसहरा के दसो दिनों की पूजा की पूरी व्यवस्था की है।

दसहरा के अवसर पर दस महाविद्या की देवियों की तांत्रिक आराधना कैसे करें?

दसहरा के नवरात्र पूजा भारत में एक बहुत ही प्रमुख पर्व है। इसे काली पूजा, दुर्गा पूजा इत्यादी नामो से जाना जाता है। इन दस दिन में दस महाविद्या की दसो देवियों की दसो दिशाओं में पूजा की जाती है।
ऐसा करने से दस महाविद्या की दसो देवियाँ प्रसन्न होती हैं तथा भक्तो और साधको को सभी कष्टों से उबारती हैं।

अपने पूर्व लेखों में मैंने दस महाविद्या की दसों देवियों की नवरात्र में प्रतेक दिन कैसे आराधना करनी है उसका वर्णन किया था। मैं एक बार फ़िर दस महा विद्या पूजा का महात्म आप सभी को बताना चाहता हूँ।
माँ काली दसो दिशाओं में दस महा विद्या के रूप में वास करती है। इसी लिए दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में माँ काली के दस मुख, दस हाथो और दस पैरों का वर्णन है। दस महा विद्या की दस देवियाँ मनुष्य की सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति करती हैं।

माँ काली काल को हरती हैं
माँ तारा पापों से मनुष्यों को तारती हैं।
माँ भुवनेश्वरी हमें भुवन के सभी सुख प्राप्त करने का आर्शीवाद देती हैं।
माँ षोडशी हमारे यौवन को सदा बना रखती हैं।
माँ छिन्मस्तिका मनुष्य के मस्तिक्ष की चिंताओं को हरती है तथा मति प्रदान करती हैं।
माँ भैरवी सभी प्रकार के भ्रम दूर करती है तथा शक्ति प्रदान करती हैं।
माँ धूमावती हमारे जीवन की धुंध को दूर करती हैं
माँ बगलामुखी सभी दुश्मनों का मर्दन करती हैं।
माँ मातंगी मातृत्व का सुख प्रदान करती हैं।
माँ कमला सभी प्रकार के सुख समृधि प्रदान करती हैं।

दस महा विद्या की देवियों की इन दस दिनों में किस प्रकार साधना करनी है उसके लिए निम्न लेखो को पढे.
प्रथम दिन - माँ काली http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_27.html
दूसरा दिन - माँ तारा http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_3376.html
तीसरा दिन - माँ भुवनेश्वरी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_8850.html
चौथा दिन - माँ षोडशी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_28.html
पांचवा दिन - माँ छिन्मस्तिका http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_29.html
छठा दिन - माँ भैरवी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_30.html
सातवाँ दिन - माँ धूमावती http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_7290.html
आठवा दिन - माँ बगलामुखी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_5568.html
नौवा दिन - माँ मातंगी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_6393.html
१० दसवां दिन - माँ कमला http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_7899.html