स्व। डॉ बिंदा प्रसाद वर्मा और स्व सरस्वती देवी की संतान बन मेरा जनम २० दिसम्बर १९६६ को बिहार के पूर्वी चम्पारण जिला के रक्सौल नामक स्थान पर हुआ।
प्रारंभिक शिक्षा रक्सौल से प्राप्त करने के उपरांत मैं १९८७ में बंगलोर तकनिकी महाविद्यालय में नामांकन हेतु गया और शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। रात्री में ट्रेन में स्वयं भगवान् शिव के दर्शन हुए।
तत्षण ही मुझे शिव के गुरुत्व की प्राप्ति हुई और जीवन की धारा ही बदल गई।
एक बालक युवा साधक बन गया।
अब मेरा अधिकाधिक समय पूजन और ध्यान में व्यतीत होने लगा। माता पिता इस व्यवहार से काफी चिंतित रहने लगे। पिताजी ने रोका भी और विवाह के बंधन में बाँध के इस असामान्य व्यवहार को दूर करने का प्रयास भी किया। तब स्वयं माँ काली ने दर्शन दे कर पिताजी से कहा की मैं उनका बेटा हूँ और मेरा जनम उनके कार्यो को करने के लिए हुआ है। अब इस युवा साधक का ध्यान माँ काली की पूजा, अर्चना ,आराधना में बीतने लगा और उनके प्रति आसक्ति उत्तरोतर बढती गई।
इस तरह अपनी जीवन की घटना को व्यक्त करने का उद्देश्य है इस धरती पर लोगों को यह बताना की माँ की आराधना ही जीवन है।
मैं प्रयास करूँगा की इस ब्लॉग के माध्यम से सब को यह बता सकूं की माँ क्या है,उनकी शक्ति क्या है,और उनका संदेश आप सब तक पहुँचा सकूँ।
सेवा में
सेवक संजय नाथ.
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The website is very useful..
ReplyDeleteBehad uchit tareeke se aapki jeewan katha likhi gai. Hum aur vistaar mein jan ne ke ichhuk hain aapke jeewan ke baare mein.
ReplyDeletePreshak
Sushma Maurya
pls kuch batiye ki sadna kaise shuru karte hin . har sadk apne ieshta devta ko chunta hin min kaise apne ieshta devta ko chun sakta hun
ReplyDeleteprakashdhakate@yahoo.com