Thursday 6 November, 2008

मेरी कामरूप कामख्या यात्रा...


१९९४ में आमुबाची पर्व पर कामख्या में मैंने १६ दिन की अपनी साधना को पूर्ण किया।
इसमें मुख्यतः भैरवी चक्र साधना, योनी पूजा और भैरव चक्र जैसी साधनायें थीं। बिना इन साधना के कोई भी व्यक्ति वाम मार्गी नही हो सकता। यह वाम मार्ग के सबसे कठिन साधनायें हैं। इन साधनाओं की क्रिया को सार्वजनिक करना उचित नही होता। इसलिए यह गुरु शिष्य परम्परा से प्राप्त होता है। यह सभी अति गोपनीय साधना हैं। इसलिए इस क्रिया को यहाँ प्रकाशित नही कर रहा हूँ।

भैरवी चक्र साधना:
इस साधना को ७ दिनों में पूरा किया जाता है। इस साधना में सबसे कम उम्र के भैरव को शिव स्वरुप मान के शिव की आसन पे बिठाया जाता है और सब से कम उम्र की भैरवी को माँ काली का स्वरुप मान कर काली के आसन पर बिठाया जाता है। यह क्रिया रात्रि १० बजे के बाद शुरू की जाती है। इसमें सभी भैरव और भैरवी दिगंबर रूप से साधना करते हैं। इस साधना के पुरोहित को कौलाचार्य कहते है और उनके आदेश को शिव का आदेश समझ कर यह साधना की जाती है। वहा अगर वो धर्म विरुद्ध बात भी कहें तो उसे वेदतुल्य समझा जाता है।
तत्पश्चात कौलाचार्य उस भैरव और भैरवी की पूजा शुरू करते हैं जिसे शिव और काली के रूप में स्थापित किया जाता है। भाग्यवश कम उम्र होने के कारन इस पूजा में उस शिव रूप का स्थान मुझे ही मिला था एवं भैरवी रूप में शिवानी नामक एक बंगाली साध्वी को माँ काली का रूप मिला था।
७ दिनों तक यह क्रिया रात्री १० बजे से सुबह ३ बजे तक की जाती थी। इस क्रिया को बोहत सारे भैरव, भैरवी पूरा करने में विफल रहे। पर माँ की कृपा से मैंने इसे दूसरी बार में ही पूरा कर लिया। इस साधना में अघोर भैरव और भैरवी मंत्र का प्रयोग किया जाता है जो की किसी गुरु की सहायता से ही करना चाहिए अन्यथा अनर्थ भी हो सकता है।

भैरव चक्र साधना:
यह साधना ३ दिन में पूरा किया जाता है। इस साधना को उस शमशान में पूरा किया जाता है जहा पर कम से कम नित्य एक शव जलता रहता हो। कामख्या और ब्रम्हपुत्र नदी के समीप एक शमशान में अष्टमी की रात को यह साधना सभी भैरवो ने शुरू की। इस साधना में भैरवी का प्रवेश निषेध होता है। यह साधना रात्री १२ बजे के बाद शुरू की जाती है और ब्रम्ह मुहूर्त तक चलती है। इस साधना में प्रथम दिन स्नान करने के बाद पूरे शरीर में भभूत लगा कर ३ दिनों तक शम्शाम में ही शिव के अघोर रूप में वास किया जाता है। इसमें प्रथम दिन भैरव के आकर्षण मंत्र मौरंग दौरंग मंत्र का जाप किया जाता है. दुसरे दिन झांग झांग झांग हांग हांग हांग हेंग हेंग महामंत्र से सभी क्रियाएँ की जाती हैं। फ़िर तीसरे दिन शमशान भैरव के महा मंत्र से साधना करने के बाद इस भैरव साधना का विसर्जन किया जाता है। भैरव साधना के बिना कोई भी वाम मार्गी पुरूष साधक नही हो सकता। जो साधक इस साधना को सफलता से पूरा कर लेता है उसके इक्षा मात्र से भक्तो के कष्ट दूर हो जाते हैं। अतः इसकी तांत्रिक साधना में बहुत महत्व है अतः आम लोगो से गुप्त रखा जाता है।

कामख्या योनी पूजा:
यह क्रिया १ दिवसीय होती है। इस पूजा में भैरव और भैरवी का होना अति आवश्यक होता है। तंत्र में योनी को ही श्रृष्टि का मुख्या द्वार बताया गया है। इसलिए जो उत्तम साधक होते हैं वह अपने किसी तांत्रिक साधना को करने से पहले योनी साधना अवश्य करते हैं। जो योनी का आदर नही करते उनपर माँ कभी प्रसन्न नही होती। इस पूजा की विधि को जान ने के लिए किसी वामाचार्य के पास जाना पड़ता है।यह भी गुप्त क्रिया है.

6 comments:

  1. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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    आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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    अमित के. सागर
    (उल्टा तीर)

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  2. poojyavar yah batane ka kast karain ki in sadhnaon se ham kya praapt kar sakte hain

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  3. Dear Sir. I am really impressed to see this blog specially in hindi. But i am not agree with your above statement that Sadhana not to be closed.In this blog if u share ur experience and mantra sadhan with us.sure its a service to those thirsty soul who find there way in BamMarga or tantra mantra because here only those persons comes and read those interested or want to as Aham Brahm.So share with people just a advice from Lord Shiva. Jai GURUDEVA

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  4. om! i am very delighted to scan about said tantrik sadhan. well, it is benifesial for a socity? please teach yoga. so, people be united. they cooperate each othe. since Lord Shiva is yogi. their follower is so. Baba Ramdev doing so. we should also do do. is yoga me choopane ke leey kooch bhi nahi hi. sabko janna chahiya.

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  5. mujhe bhi kamakhya mata ka bhagat banana hai mere andar bhi mata ki chabi hai

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  6. mai bhi kamakhiy eyatra karna chahata hu kya mujhe mata kamakhya bulaigi mujhe

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