रुद्राक्ष की उत्त्पत्ति रूद्र देव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है। एक आध्यात्मिक और दूसरा वैज्ञानिक और स्वास्थवर्धक।
रुद्राक्ष एक से ले कर चौदह मुख तक होता है। आध्यात्मिक मान्यता है की भगवान् शिव के जितने रूद्र अवतार हुए हैं उतने ही मुख के रुद्राक्ष पाए जाते हैं।
रुद्राक्ष के वृक्ष से रुद्राक्ष पाया जाता है। सबसे उत्तम रुद्राक्ष आवले के आकार का होता है। छोटे बेर के आकार वाले रुद्राक्ष कों मध्य श्रेणी का मन जाता है। एवं मोती के दाने के सामान छोटे आकार वाले रुद्राक्ष कों निम्न श्रेणी का माना जाता है। दुनिया के सबसे उत्तम रुद्राक्ष नेपाल में पाए जाते हैं। रुद्राक्ष भारत, मलेसिया तथा इंडोनेसिया में भी पाए जाते हैं।
रुद्राक्ष चार वर्ण (रंग) के होते हैं - उजला, पीला, लाल और काला।
उजला रुद्राक्ष ब्राह्मणों के धारण करने के लिए श्रेष्ठ होता है।
पीला रुद्राक्ष क्षत्रियों के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
लाल रुद्राक्ष वैयेश्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है और काला शुद्र्रो के लिए माना गया है।
जबकि लाल रुद्राक्ष सभी वर्णों के लिए श्रेष्ठ है तथा शिव कों भी अति प्रिय है।
एक मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
शास्त्रों में एवं शिव पुराण में एक मुखी रुद्राक्ष कों शिव का साक्षात् रूप माना गया है। कहा गया है की जो भक्त इसे धारण करते हैं वह स्वयं शिव तुल्य होत जाते है। उनके इर्द गिर्द अष्ट सिद्धियाँ भ्रमण करती रहती हैं। जो व्यक्ति एकमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं वह मोक्ष कों प्राप्त करते है और जन्म जन्म के चक्कर से मुक्त होत जाते है। तथा शिव लोक में वास करते है।
गोलेकार एकमुखी रुद्राक्ष कों धारण करने वाले लोग बिना किसी कठिन साधना किये ही मंवांचित सिद्धियाँ प्राप्त कर लेते हैं। सभी भक्तों कों यह बताना चाहता हूँ की जो बाज़ार में काजू के सामान लम्बे रुद्राक्ष मिलते हैं वह सही में रुद्राक्ष नहीं होते। साथ ही साथ यह भी बताना चाहता हूँ की रुद्राक्ष जितने मुखी होते हैं उतने ही बीज उन्हें फोड़ने के बाद उनमे से निकलते हैं। यही रुद्राक्ष की सही पहचान का एकमात्र साधन है।
शास्त्रों में वर्णित है की एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति कों कभी भी धन धान की कमी नहीं होती है और आकस्मित मौत भी नहीं हो सकती.
एक मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
जो व्यक्ति पागल हो जाते हैं वैसे व्यक्ति कों एकमुखी रुद्राक्ष घिस कर मक्खन के साथ सुबह शाम देने से उसका मानसिक संतुलन ठीक होत जाता है।
जो व्यक्ति कोमा में चले जाते हैं वैसे व्यक्ति कों एक मुखी रुद्राक्ष का एक बीज निकाल कर, पीस कर पिलाने से वह कोमा से बहार आ जाते हैं। शास्त्रों में जिक्र है की जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसे ह्रदय गति का रोग कभी नहीं हो सकता है।
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bahut aachha laga
ReplyDeletesee it also this blogs
http://spiritualityjyoti.blogspot.com/
Thank you GURU ji...
ReplyDeletemere ko ek muki orignal Rudraksas kaha mil sakta he
thank you guruji...
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