Thursday, 31 December 2009

रुद्राक्ष धारण करने में कोई भेद भाव नहीं

रुद्राक्ष के बारे में अनेक लेखकों ने अनेक बातें लिखी हैं, जैसे रुद्राक्ष धारण करने के बाद यह नहीं करना चाहिए या वह नहीं करना चाहिए यह गलत धारणा है। जिस प्रकार सदा शिव सभी वर्णों के देवता है और वह किसी से भेद भाव नहीं करते उसी प्रकार रुद्राक्ष धारण करने में भी कोई रोक टोक नहीं है। सभी वर्ण के लोग, बिना कुछ त्यागे ( खान पान ) रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, चाहे वह माँसाहारी हों या शाकाहारी।

अगले पोस्ट में रुद्राक्ष कों सिद्ध करने की विधि का इंतज़ार करे !!!

चौदह मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


चौदह मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
चौदह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् परम ब्रहम शिव का स्वरुप मन गया है। जितना प्रभाव एक मुखी रुद्राक्ष शरीरपर deta है उतना ही चौदह मुखी रुद्राक्ष भी देता है। जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष या चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसे सदा शिव के सामान ही मानना चाहिए। ऐसे व्यक्ति किसी कों खुश होकर किसी कों आशीर्वाद दे या दुखी हो कर श्राप दे तो वह तुरंत फलित हो जाता है। उच्च्यकोटि के सन्यासियों , वाम मार्गियों एवं शिव तथा देवी भक्तों कों चौदह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। जो साधक चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करके साधना करते है उनकी साधना अवश्य सिद्ध होती है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
सभी असाध्य रोगों में इसका सेवन मधु या मक्खन के साथ लाभकारी सिद्ध होता है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


तेरह मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
इस रुद्राक्ष कों धारण करने वाले व्यक्तियों से भगवान् कामदेव सदा प्रसन्न रहते है। ऐसे व्यक्ति नामर्द नहीं होते हैं। यह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति सभी इक्षाओं कों पूर्ण करनेवाला तथा शुभ माना गया है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
जितने भी प्रकार के चर्म सम्बंधित रोग के पीड़ित लोग होते है यदि वे इस रुद्राक्ष कों घिस कर नारियल तेल के साथ लगाये तो बहुत लाभी होता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


बारह मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
बारह मुखी रुद्राक्ष में द्वादश ज्योतिरलिंगों का वास होता है एवं भगवान् विष्णु भी इसमें वास करते हैं। इस रुद्राक्ष कों धारण करने से चारो धाम एवं बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
इस रुद्राक्ष कों मधु के साथ घिस कर सेवन करने से लीवर सम्बंधित सभी रोगों में लाभ मिलता है

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
यह रुद्राक्ष साक्षात् ग्यारह रूद्र के सामान माना गया है। सावन में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की पूजा करना लक्ष पार्थी पूजन के बराबर है। जो व्यक्ति इसे गले में धारण करते है उनकी कभी भी आकाल मृत्यु नहीं होती है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष मध् के साथ घिस के खाने से अस्थमा जैसी बीमारी में भी सबसे ज्यादा फायदा होता है एवं एक से दस मुखी रुद्राक्ष का सेवन जिन बीमारियों में काम आता है वह सभी का एक अकेले ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के सेवन से लाभ मिल जाता है।

दस मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


दस मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
दस मुखी रुद्राक्ष दसों महाविद्या के स्वरुप हैं एवं यमदेव का भी रूप कहा गया है। इसे केवल देखने से ही शांति प्राप्त होती है। इसे धारण करने से मिलने वाली शांति के विषय में तो कोई शंशय ही नहीं है। जो व्यक्ति इसे धारण करते हैं उन्हें यमराज नरक में नहीं ले जाते हैंसभी प्रकार के वाम मार्गियों कों दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
दस मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
अर्ध विक्षिप्त (पागल ) लोगों कों दस मुखी रुद्राक्ष घिस कर आवले के रस में देने से काफी फायदा देखा गया है।
एवं पेशाब सम्बन्धी किसी भी बीमारी में आवले के साथ घिस कर सेवन करने से यह बहुत लाभकारी साबित होता है।

नौ मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


नौ मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
नौ मुखी रुद्राक्ष कों नौ शक्तियों का स्वरुप माना गया है। अतः इसे धारण करने से मनुष्य हर कार्य में सफल होता है एवं देवी साधको कों नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य पहनना चाहिए।
नौ मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
यह रुद्राक्ष शक्ति वर्धक रुद्राक्ष मन गया है। इसलिए किसी भी प्रकार के शारीरिक कमजोरी में इसका मधु के साथ सेवन करने से बहुत फायदा होता है।

आठ मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


आठ मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
आठ मुखी रुद्राक्ष आठ वसुओं का रूप माना जाता है। इसे धारण करने से गंगा भी प्रसन्न होती हैं। और गंगा स्नान करने जैसा पुण्य मिलता है। यह अष्ट सिद्धियों कों प्रदान करता है।
आठ मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
यह जिस व्यक्ति कों किसी कार्य में मन नहीं लगता हो, हमेशा विचलित रहता हो, एकसाथ कई काम का शुरुवात करना तथा सभी में असफल रहना आदत हो, ऐसे व्यक्ति कों आठ मुखी रुद्राक्ष घिस कर मक्खन के साथ खाना चाहिए। जिस व्यक्ति कों लगातार गैस की शिकायत रहती हो वैसे व्यक्ति कों भी यह रुद्राक्ष घिस कर मधु के साथ सुबह शाम सेवन करना चाहिए।

सात मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


सात मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
सात मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मणि आदि सात लोक माताओं का स्वरुप माना जाता है। इस धारण करने से महान सम्पति तथा आरोग्य प्राप्त होता है। यदि इसे पवित्र भावना से धारण किया जाये तो आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। सात रुद्राक्ष काम देव का सूचक है। कामुक लोग इसे अपनी काम वासना के लिए भी धारण करते हैं।
सात मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
जो बचछे बचपन से ही दुबले पतले होते है ऐसे बच्चो कों सात मुखी रुद्राक्ष मक्खन में घिस कर खिलाने से बच्चा स्वस्थ हो जाता है। एवं जो व्यक्ति नपुंसक होते हैं वे यदि सुबह शाम सात मुखी रुद्राक्ष कों मधु के साथ घिस कर सेवन करे तो काफी फायदा होता है।

छः मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


छः मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव-
छः मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान् कार्तिके का स्वरुप है। इसे धारण करने वाले कों कभी भी धन की कमी नहीं होती। किसी भी प्रकार के व्यवसाय करने वाले व्यक्ति कों इसे धारण करना चाहिए। हर माता कों अपने बच्चे के गले में छः मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करवाना चाहिए, इस से बच्चा वीर तथा रोग मुक्त होता है।
इसे धारण करने वाले व्यक्ति कों सुंदर मति, ज्ञान, संपत्ति तथा पवित्रता प्राप्त होती है।
छः मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
जिस व्यक्ति का रक्तचाप किसी भी दावा से काम न होता होत ऐसे व्यक्ति कों छः मुखी रुद्राक्ष घिस कर मधु के साथ चटाने से जादू के सामान प्रभाव होता है। एक साल से अधिक उम्र के बच्चे कों लगातार पांच साल तक छः मुखी रुद्राक्ष घिस कर मधु के साथ चटाने से ऐसा बच्चा विद्वान एवं स्वस्थ होता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर अध्यात्मिक अथवा वैज्ञानिक प्रभाव


पांच मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
पांच मुखी रुद्राक्ष पंचमुखी शिव का स्वरुप होता है। इसे धारण करने से भगवान शिव की कृपा से धारण करनेवाले के हाथ से कभी किसी व्यक्ति की हत्या नहीं होती।
पंचमुखी रुद्राक्ष कों कलान्गनिक रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है। जो व्यक्ति पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करते है वोह पर स्त्री गमन के पाप से मुक्त हो जाते हैं।
पांच मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
गुप्त इन्द्रिय सम्बंधित कोई भी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति यदि पंचमुखी रुद्राक्ष के लेप कों मक्खन या नारियल के तेल में मिला के लगाने से फायदा होता है। एवं इसे मध् के साथ घिस के चाटने पर गुप्त इन्द्रियां सम्बंधित बिमारियों का नाश होता है।

Sunday, 27 December 2009

चार मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों पर आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक प्रभाव


चार मुखी रुद्राक्ष का आध्यात्मिक प्रभाव -
चार मुखी रुद्राक्ष शाक्षात ब्रह्मा का स्वरुप है। इसके धारण करने से मनुष्य ब्रहम हत्या से मुक्त हो जाता है। जो साधक चार मुखी रुद्राक्ष कों धारण करते हैं वह दिमाग से तेज़ होते हैं।
चार मुखी रुद्राक्ष का वैज्ञानिक प्रभाव -
जो बच्चे दिमाग से कमजोर होते है या जिनकी याददाश्त कमजोर होत जातीहै , वैसे व्यक्तियों कों चार मुखी रुद्राक्ष घिस के मध् के साथ खिलने से फायदा होता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों के ऊपर अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक प्रभाव


तीन मुखी रुद्राक्ष का आध्यात्मिक प्रभाव -
जो व्यक्ति तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं उनकी धन तथा आयु की वृद्धि होती है, एवं स्त्री हत्या का पाप नष्ट हो जाता है। साथ ही साथ तीन मुखी रुद्राक्ष त्रिदेव का सूचक है। जो व्यक्ति इसे धारण या इसकी पूजा करते हैं उनपे ब्रह्मा , विष्णु तथा महेश सदैव प्रसन्न रहते हैं।
तीन मुखी रुद्राक्ष का वैज्ञानिक प्रभाव-
जिस व्यक्ति कों हर तीन दिन पर बुखार आता हो ऐसे व्यक्ति कों तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्वर ख़तम हो जाता है। यदि रक्त चाप भी अधिक हो तो वैसे व्यक्ति कों तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए एवं एक तीनमुखी रुद्राक्ष कों घिस कर मध् के साथ सेवन करना चाहिए। इस से उच्च रक्त चाप ठीक हो जाता है।
यदि रोगी की बीमारी पकड़ में ना आये तो ऐसे रोगियों कों भी तीन मुखी रुद्राक्ष घिस कर सेवन करने से आराम आता है।

दो मुखी रुद्राक्ष का मनुष्यों के ऊपर अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक प्रभाव


दो मुखी रुद्राक्ष का अध्यात्मिक प्रभाव -
दो मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान अर्ध नागेश्वर का स्वरुप है। जो लोग दोमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं या उसकी नित्य पूजा करते हैं वह गौ वध पाप से मुक्त हो जाते हैं तथा सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा भी देखा गया है की जो सुहागन औरते दो मुखी रुद्राक्ष धारण करती हैं वे सदा सुहागन ही मृत्यु कों प्राप्त करती हैं।
ऐसे व्यक्ति जो दोमुखी रुद्राक्ष धारण करते है या उसकी पूजा करते हैं उनके घर में सभी प्रकार की सामग्रियां उपस्थित रहती हैं। जो साधक शिव शक्ति की आराधना करते हैं ऐसे साधको कों दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
दोमुखी रुद्राक्ष का वैज्ञानिक प्रभाव -
दो मुखी रुद्राक्ष कों घिस कर मध् के साथ सेवन करने से लकवा से पीड़ित रोगियों कों फायदा होता है तथा रक्त दोषों कों दूर करता है।

Saturday, 26 December 2009

रुद्राक्ष का मनुष्यों पर प्रभाव- एक मुखी रुद्राक्ष महातम

रुद्राक्ष की उत्त्पत्ति रूद्र देव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है। एक आध्यात्मिक और दूसरा वैज्ञानिक और स्वास्थवर्धक।
रुद्राक्ष एक से ले कर चौदह मुख तक होता है। आध्यात्मिक मान्यता है की भगवान् शिव के जितने रूद्र अवतार हुए हैं उतने ही मुख के रुद्राक्ष पाए जाते हैं।
रुद्राक्ष के वृक्ष से रुद्राक्ष पाया जाता है। सबसे उत्तम रुद्राक्ष आवले के आकार का होता है। छोटे बेर के आकार वाले रुद्राक्ष कों मध्य श्रेणी का मन जाता है। एवं मोती के दाने के सामान छोटे आकार वाले रुद्राक्ष कों निम्न श्रेणी का माना जाता है। दुनिया के सबसे उत्तम रुद्राक्ष नेपाल में पाए जाते हैं। रुद्राक्ष भारत, मलेसिया तथा इंडोनेसिया में भी पाए जाते हैं।
रुद्राक्ष चार वर्ण (रंग) के होते हैं - उजला, पीला, लाल और काला।
उजला रुद्राक्ष ब्राह्मणों के धारण करने के लिए श्रेष्ठ होता है।
पीला रुद्राक्ष क्षत्रियों के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
लाल रुद्राक्ष वैयेश्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है और काला शुद्र्रो के लिए माना गया है।
जबकि लाल रुद्राक्ष सभी वर्णों के लिए श्रेष्ठ है तथा शिव कों भी अति प्रिय है।

एक मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव -
शास्त्रों में एवं शिव पुराण में एक मुखी रुद्राक्ष कों शिव का साक्षात् रूप माना गया है। कहा गया है की जो भक्त इसे धारण करते हैं वह स्वयं शिव तुल्य होत जाते है। उनके इर्द गिर्द अष्ट सिद्धियाँ भ्रमण करती रहती हैं। जो व्यक्ति एकमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं वह मोक्ष कों प्राप्त करते है और जन्म जन्म के चक्कर से मुक्त होत जाते है। तथा शिव लोक में वास करते है।
गोलेकार एकमुखी रुद्राक्ष कों धारण करने वाले लोग बिना किसी कठिन साधना किये ही मंवांचित सिद्धियाँ प्राप्त कर लेते हैं। सभी भक्तों कों यह बताना चाहता हूँ की जो बाज़ार में काजू के सामान लम्बे रुद्राक्ष मिलते हैं वह सही में रुद्राक्ष नहीं होते। साथ ही साथ यह भी बताना चाहता हूँ की रुद्राक्ष जितने मुखी होते हैं उतने ही बीज उन्हें फोड़ने के बाद उनमे से निकलते हैं। यही रुद्राक्ष की सही पहचान का एकमात्र साधन है।
शास्त्रों में वर्णित है की एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति कों कभी भी धन धान की कमी नहीं होती है और आकस्मित मौत भी नहीं हो सकती.
एक मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव -
जो व्यक्ति पागल हो जाते हैं वैसे व्यक्ति कों एकमुखी रुद्राक्ष घिस कर मक्खन के साथ सुबह शाम देने से उसका मानसिक संतुलन ठीक होत जाता है।
जो व्यक्ति कोमा में चले जाते हैं वैसे व्यक्ति कों एक मुखी रुद्राक्ष का एक बीज निकाल कर, पीस कर पिलाने से वह कोमा से बहार आ जाते हैं। शास्त्रों में जिक्र है की जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसे ह्रदय गति का रोग कभी नहीं हो सकता है।